बुधवार, अक्तूबर 22

मैंने कब कहा मेरे साथ चल ?


मेरे आंसुओं का क़र्ज़ है,तेरा फ़र्ज़ है अदा करो
दिल दुखाये कोई तेरा,मुझे याद कर लिया करो
जब भी डरा तेरे लिए डरा ,यूँ ही बेवफा भी हो गया
है इसी में अब वफ़ा तेरी, ख़ुद से तुम वफ़ा करो
मेरी आबरू थी तू कभी,अब आरजू सी रह गई
कभी भूल से भुला न दूँ,बन के ख्वाब मिला करो
तू चाँद मै ज़मीन हूँ ,कम होंगे कभी न फासले
मैंने कब कहा मेरे साथ चल,मै रुकूं तो तुम रुका करो
मंजिल मिले हो ख़त्म सफर ,ये चले तो चले जिंदगी
ये सिलसिला रहे हमेशा , न रुके कभी ये दुआ करो

गुरुवार, अक्तूबर 9

तन्हाँ यहाँ पे हम है


तन्हाँ यहाँ पे हम है ,पिन्हा कहीं हो आप ,
हमे याद कर लिया करो,जहाँ कहीं हो आप,
सुरुरोसोज़ तेरे इश्क ने बे इन्तहां हमे दे दिए
सरगमे गम हों आप नगमा-ऐ-ख़ुशी हों आप
एक लाश हूँ बेक़ब्र मैं ,बेखबर हूँ अपने आप से
मेरा दिल कहीं ,रूह कहीं ,मेरी जां कहीं हों आप