बुधवार, दिसंबर 31

नव वर्ष 2009


नव निर्माण के लिए
नवजीवन का संदेश ......
नई नई सुबहों के लिए ।


चलो करें अभिनन्दन
नवागंतुक का
उसे हम एक वचन दे
शान्ति पूर्ण
प्रेमभरे संसार का ।


न शोर हो मिसाइलों का
न भय हो , न आतंक हो


शान्ति, सद्भाव और प्रेम की
सुगंधियों से
परिपूर्ण ये जग उसे दे हम

शुक्रवार, दिसंबर 19

'अंधेरों में लिपटी रौशनी"


अंधेरों में लिपटी रौशनी हो तुम
लगता है मेरी ज़िन्दगी हो तुम

है जमुना सा वेग ओर गंगा सी पावनता
फिर आंसुओं सी सदा क्यों बहती हो तुम

बसा सकती हो जब ख़ुशी की वादियाँ
क्यों ग़मों की बस्तियों में रहती हो तुम

वक़्त ठहर जाता है तेरे सिसकने से
चमन महक जाते है जब चहकती हो तुम

जाती हो कहाँ अब तक न समझ पाए
कभी ज़मीन तो कभी आसमान से उतरती हो तुम

सोमवार, दिसंबर 1

क्या तुम आओगी


"क्या तुम आओगी "
क्षितिज के अन्तिम छोर पर ,
मेरा एक क्षण प्रतीक्षारत
तन्हा उदास व्याकुल
तुम्हे पुकारता ...
अश्रुविहल असहाय
क्या इस पल की गूंज
तुम सुन पाओगी .....
क्या इस पल को
सहलाने तुम आओगी ....