बुधवार, जनवरी 20

टूट चुके जो दिल




खुदा से दिलरुबा की हम शिकायत करते हैं

वो रूठा हुआ है जिससे हम, मुहब्बत करते हैं


उसने ही जलाया प्यार से, हाथों को चूम के,

बनके फानूस जिसकी हाथ हिफाजत करते हैं


कहते थे मेरे इश्क में,क्या होगा फायदा ?

मुहब्बत नहीं जैसे के वो, तिजारत करते हैं


सफ़र कितना बचा है बाकी अब मौत से पहले,

टूट चुके जो दिल कब, जीने की हसरत करते हैं


मिल के न मिल सकी वो, मंजिल ही थी ऐसी

जिंदगी लगे थे जो कभी वो, अब कयामत करते हैं