शनिवार, अप्रैल 20

तेरे आने का इंतज़ार है

तुम्हे सोचता हूँ ,
तो पाता हूँ तुम्हे ,
अपने ही आस पास -/
तुम्हे छूने लगता हूँ तो 
टूट जाता है एक और स्वपन -/
ये जो मेरी पलकों पे 
अनगिनत मोती
छुपे हैं इंतज़ार के -/
बस तेरी एक झलक के
तलबगार हैं ..
और जो मेरे लबों पे
आने को बेताब है बरसों से ,
उस मुस्कराहट को
बस तेरे आने का इंतज़ार है -/

शब्दों का घर


मैं शब्दों का घर बना कर ,

तुम्हे छुपा भी नहीं सकता ,

लोग शब्दों के मनमर्जी से

 अर्थ निकाल लेते हैं ........../

भाव समझे बिना

 तुम्हे और मुझे रुसवा कर देंगे ......


मोम की छतरियां






मोम की छतरियों से ,
कड़ी धुप में ...साया बना रहे हो-/
धुप तेज़ होगी 
छतरियां पिघल जाएँगी 
एक मुददत और सही ,
चलो .....
बारिशों का
इंतज़ार करते है
छतरियों के
साए में आने के लिए /