मंगलवार, सितंबर 7

नाना के खेत




झांक रहा था मै गाड़ी से कब आयेंगे नाना के खेत,
देख के मुझको मेरी तरह खुश हो जायेंगे नाना के खेत /


स्वाभिमानी नाना के जैसे खड़े मिलेंगे गन्ने व पेड़,
ओर नानी के दुलार प्यार सा लहलहाएंगे नाना के खेत/


जहाँ घुमा करते थे नाना जी खुरपी या कुदाल लिए ,
क्या अब भी मेहनत के पसीने से भरमायेंगे नाना के खेत/


वहां मटर के दाने होंगे,या मूली,शलगम गाज़र हो,
खाने को कुछ न कुछ तो मुझे दे जायेंगे नाना के खेत/


सारे मामा थे खेतों में,संग पटवारी ओर रस्सी के,
शायद चार हिस्सों में अब बंट जायेंगे नाना के खेत/