गुरुवार, अगस्त 9

मुहब्बत मर गई शायद

उसके सीने में अब दिल बुझे चिराग सा रह गया-/
मुहब्बत मर गई  शायद ,एक  दाग सा  रह गया-/
वो हँसता भी  है तो   कुछ टूट  के  बिखरने  जैसा,
सूख गया  वो दरिया जो दीखता झाग सा रह गया -/