सोमवार, अप्रैल 18

कितना अधूरापन था ..


तुम मिले तो ये एहसास हुआ,

कितना अधूरापन था, तेरे बगैर।


दिल जब तेरे दिल के पास हुआ,

कितना आवारापन था,तेरे बगैर ।


जिंदगी में जब कभी हताश हुआ

कितना बेगानापन था,तेरे बगैर ।


मुझे मुक्कमल होना रास हुआ ,

कितना अधुरा जीवन था,तेरे बगैर।


तेरे लफ़्ज़ों से लगाव खास हुआ,

कितना बेमानी जीवन था, तेरे बगैर।


मेरे हिस्से का भी मधुमास हुआ,

कितना सुखा उपवन था,तेरे बगैर।