मेरे आंसुओं का क़र्ज़ है,तेरा फ़र्ज़ है अदा करो.
कोई दिल जब दुखाये तेरा,याद कर लिया करो
जब भी डरा तेरे लिए डरा यु ही बेवफा भी हो गया
है इसी में अब वफ़ा तेरी,ख़ुद से भी वफ़ा करो
मेरी आबरू थी तू कभी ,अब आरजू सी रह गई
कभी भूल से भुला न दू ,बन के ख्वाब मिला करो
तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले
कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो
मंजिल मिले तो रुके सफर,चले तो चले जिंदगी
ये सिलसिला रहे ताजिंदगी,ना रुके ऐसी दुआ करो
26 टिप्पणियां:
तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले
कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो
--ये भी खूब रही!! वाह!
मेरी आबरू थी तू कभी ,अब आरजू सी रह गई
कभी भूल से भुला न दू ,बन के ख्वाब मिला करो
" very touching words"
regards
तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले
कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो
BAHOT KHUB SAHIB KYA ANDAAZ HAI AAPKE YE TEWAR TO BAHOT PASAND AAYE BAHOT BAHOT BADHAAYEE IS UMDAA KHAYAALAAT KE LIYE .. ..
ARSH
आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहत सुंदर कविता लिखा है आपने ! दिल को छू लेने वाली! आपकी हर एक कविता और ग़ज़ल तारीफ ऐ काबिल है!
mere dusre blog par aapka swagat hai -
http://urmi-z-unique.blogspot.com
hamesha ki tarah hi zazbato ko behtar dhang se bayan kiya n ek dard ka ehsas bhi dikha
kuch bhi kahne k liye shabd nai hai hamare pas
मेरी आबरू थी तू कभी ,अब आरजू सी रह गई
कभी भूल से भुला न दू ,बन के ख्वाब मिला करो
सहेजने योग्य शेर
बधाई
सुन्दर ख़यालात, सुन्दर प्रस्तुति.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले
.....in fanslo me ek dard sa hai.....
chhaa gaye guru.
bahut khoob..
...behad khoobasoorat, prabhavashaalee abhivyakti !!!!
Sunder kavita ke liye BADHAI
बहुत प्यारी गजल...
here is AADI
http://aadityaranjan.blogspot.com/
अभिन्न जी समझ में नही आता है कि इस पूरे शेर का क्या नाम दू । शानदार अभिव्यक्ति आपने प्रस्तुत की है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
dard bhari pyaar ki dastaan apane bekhubi tarasha hai.
बहुत खूबसूरती से जज्बात को शब्दों में पिरोया है आपने ....
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें आपका स्वागत है
bahut .......bahut bahut accha . :)
आपने बहत सुंदर कविता लिखा है| वाह!
बहुत अच्छी आरज़ू है, बधाई.
तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले
कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो
मंजिल मिले तो रुके सफर,चले तो चले जिंदगी
मिले कहीं तो मिले मगर करते रहेंगे हम बंदगी
अच्छा लिख रही हैं...वजन और बहर पर अधिक ध्यान दें तो और निखार आएगा.
तू चाँद मैं ज़मीन हूँ........सही में कुछ फासले तो ताउम्र बने ही रहते है...ये दूरी कभी कम नहीं होती...
रोचक और सुन्दर है
bahut khubsurat likha hai aapne.jitni tareef ki jaye kam hai. kabhi mere blog par bhi aayen.
www.salaamzindadili.blogspot.com
"तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले
कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो"
bahut hi achha likha hai.
bhaiya ek request hai aapse aap pleas apne blog ki theme change kar diye... ye black color background me achha nahi lagta hai. chbhta rehta hai.
बहुत सुन्दर रचना है ! एक एक शेर दिल छुं जाता है !
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