"dilkash afsaney hain, kuch khavb suhaney hain".
jal............ yeh wakai me ek badi samasya hai jise hum sab ki nasamjhi ne bhayawah bana diya haipr yaha to aaj baadal khoob jhoom k barse n khoob barse
बहुत सुंदर कविता लिखा है आपने और बिल्कुल सच्चाई का ज़िक्र किया है! इस उलझन को जल्दी ही सुलझा दिया जाए तो सभी को राहत मिलेगी तकलीफ से!
तप रही आग सी सारी धरतीआसमान तो जैसे पिघल रहे है ! अच्छी रचना है ! लेकिन आपकी पिछली पोस्ट (मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी ..) ने दिल जीत लिया !शुभकामनाएं ! आज की आवाज
तप रही आग सी सारी धरतीआसमान तो जैसे पिघल रहे हैहाय आज जहां भी ब्लाग में कुछ देखने गया हूं उसने कविताई सोच से अभिभूत किया है । उसकी सोच की दलदल में मै फसता चला गया हूं अभिन्न जी आप भी उसी में से एक है । बेहद खूबसूरत रचना है । शु्क्रिया
"जल नही तो जल रहे हैं"kavita ka title gaherai se itna kuch kah jata hain...sundar rachana
एक टिप्पणी भेजें
5 टिप्पणियां:
jal............ yeh wakai me ek badi samasya hai jise hum sab ki nasamjhi ne bhayawah bana diya hai
pr yaha to aaj baadal khoob jhoom k barse n khoob barse
बहुत सुंदर कविता लिखा है आपने और बिल्कुल सच्चाई का ज़िक्र किया है! इस उलझन को जल्दी ही सुलझा दिया जाए तो सभी को राहत मिलेगी तकलीफ से!
तप रही आग सी सारी धरती
आसमान तो जैसे पिघल रहे है !
अच्छी रचना है !
लेकिन आपकी पिछली पोस्ट (मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी ..) ने दिल जीत लिया !
शुभकामनाएं !
आज की आवाज
तप रही आग सी सारी धरती
आसमान तो जैसे पिघल रहे है
हाय आज जहां भी ब्लाग में कुछ देखने गया हूं उसने कविताई सोच से अभिभूत किया है । उसकी सोच की दलदल में मै फसता चला गया हूं अभिन्न जी आप भी उसी में से एक है । बेहद खूबसूरत रचना है । शु्क्रिया
"जल नही तो जल रहे हैं"
kavita ka title gaherai se itna kuch kah jata hain...
sundar rachana
एक टिप्पणी भेजें