जिंदगी तेरी खामोशी हमसे सही न जायेगी
अब दास्तान दर्द की हमसे कही न जायेगी
बेघर को देके आसरा क्यूँ एहसान किया था ?
मेहमान की तरह इतना सम्मान किया था ?
तेरा घर, तेरी गली, तेरा शहर छोड़ कर
मैं जा रहा हूँ आज सारे बंधन तोड़ कर
मेरी वफ़ा पे शायद तुमको यकीं न आएगा
तुमको भी हमसे बेवफा कहा न जाएगा
2 टिप्पणियां:
itna dard kyu chupa rakkha ahi apne ???
chand lafzo me dher sara dard chupa hau hai
मेरी वफ़ा पे शायद तुमको यकीं न आएगा
तुमको भी हमसे बेवफा कहा न जाएगा ...tu kahi bhi rahe sar pe tere ilzaam to hai...m touched....
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