"बार बार"
पुकारो न हमे जिंदगी बार बार,
चाहते है जीना हम भी बार बार...
छाएंगे अंधेरे मगर फिर भी ,
हर सुबह होगी रोशनी बार बार...
कूकेगी कोयल ,गाएगी बुलबुल ,
वादी -ऐ -दिल महकेगी बार बार...
जाओगे तोड़ रिश्ता , सब -ऐ -हिज्र मे,
" लेकिन"
याद तुमको हमारी आएगी बार बार
2 टिप्पणियां:
"लाख दामन छुडाओ मेरी यादों से तुम
हम ख्यालों में आके सतायेंगे यूँही बार बार "
wondeful poetry
aapne jis poetic andaz se apne comment diye hai usse rachnakar ko uska noble prize mil gya hai..anekanek dhanyavad thank u Seema ji
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