"खुशी"
इतनी खुशी ना दो के कोई गम भी सह न पाऊँ ,
मेरी जान निकल जाए और किसी से कह ना पाऊँ ...
पड़ न जाए मुझे भी आदत खुशीयाँ पाने की,
एक पल भी खुशी बगैर तन्हा मै रह न पाऊँ..
क्यों दे रहे वो वज़ह मुझे जीने की मेरे "मालिक"
अड़ जाऊं और कहूं मौत भी बेवज़ह न पाऊँ...
ज़न्नत करे कबूल ना मुझको , गुनाहों की बात पर
खुशी से मरा हूँ दोज़ख में शायद जगह न पाऊँ
1 टिप्पणी:
"jindge mey kisee ka bhee tu mohtaj na rhey, hr bedtey kadam pr khusheeyon kee saugaat rhe..."
Regards
एक टिप्पणी भेजें