खिलेंगे,टूटेंगे,मुरझा कर झड़ जायेंगे,
ये फूल चन्द रोज में फीके पड़ जायेंगे,
कायम रहेगा इनका लेकिन ये मशवरा,
एक पल ही जी लो लेकिन मुस्करा के जरा ,
बिखेर दो खुशबू जहाँ भी मौजूद हो,
फूलों की तरह आदमी का भी वजूद हो
ये फूल चन्द रोज में फीके पड़ जायेंगे,
कायम रहेगा इनका लेकिन ये मशवरा,
एक पल ही जी लो लेकिन मुस्करा के जरा ,
बिखेर दो खुशबू जहाँ भी मौजूद हो,
फूलों की तरह आदमी का भी वजूद हो
फूलों से कुछ जीना सीख ले आदमी
हंस के गम पीना सीख ले आदमी
17 टिप्पणियां:
आप का कमेन्ट मिल ने पर मेरा उत्साह दुगना हो जाता है!
बहुत बहुत शुक्रिया!
आपने मेरी हर एक शायरी पे इतना सुन्दर कमेन्ट दिया उसके लिये मै आपका आभारी हू !
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही उन्दा लिखा है आपने
बहुत खूब, आपने इस छोटी सी रचना मे जिंदगी की सच्चाई उकेर कर रख दी, बधाई।
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खुशियों का विज्ञान-3
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बिखेर दो खुशबू जहाँ भी मौजूद हो,
फूलों की तरह आदमी का भी वजूद हो
......बहुतखूब
फूलों से कुछ जीना सीख ले आदमी
हंस के गम पीना सीख ले आदमी
" बेहद उत्साह प्रदान करती ये पंक्तियाँ सच मे ही उर्जा देती लगी..."
regards
कायम रहेगा इनका लेकिन ये मशवरा,
एक पल ही जी लो लेकिन मुस्करा के जरा ,
फूलों से नित हँसना सीखो भौंरों से नित गाना
तरु की झुकी डालियों से नित सीखो शीश झुकाना
बचपन में ये कविता पढा करते थे .....पर हम कहाँ कुछ सीख पाते हैं ....!!
खैर आपने बहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखी ...शुक्रिया.....!!
bahut hi khoobsurat
vaise bhi hamesha achcha hi likhte hai.
nature ki her ek cheez insan ko kuch sikhati hai, n hamesha deti hai jiska use koi gam nai kash insan bhi esa ho pata, .......
kosish jaari hai
फूलों से कुछ जीना सीख ले आदमी हंस के गम पीना सीख ले आदमी
बहुत सुंदर शेर
badhai
बड़े पवित्र है हम दोनों
मै और मेरा लक्ष्य
किसी त्रासदी के
चरित्र है हम दोनों
adbhut shbd snyojn
badhai
Sachchi sikh di aapne.
मन को छूती भावप्रवण रचना...
PRIYA BHAAEE ABHINNA,
AAPKO BHI SAPARIVAAR KARIYATI AUR SALAAMATI CHAHTA HUN, MAGAR IS TARAH SE ACHAANAK AAP GAYAB NAA HO BLOG JAGAT SE ... MAINE SOCHAA KE AAPKO ALAG SE MAIL KARUN MAGAR AAPKI MAIL ID MUJHE NAHI MILI...SO ISI PE...
BAHOT HI KHUBSURTI SE LIKHAA HAI AAPNE PHOOLON SE KOI JEENA SIKH LE .. BAHOT HI KAAMYAAB RACHANAA HAI...
AAPKA
ARSH
अभिन्न जी,
वाकई बहुत ही अच्छी रचना है, जो जिणे की कला भी सिखाति है और मशविरा भी देती है :-
बिखेर दो खुशबू जहाँ भी मौजूद हो,
फूलों की तरह आदमी का भी वजूद हो
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
pholo se bhi kuchh seekh le aadmi....kuch hi shabdo me boht kaha apne...
Nice one .... I liked the Poem a lot that you have posted as a comment. Spontaneous and beautiful.
God bless
RC
फूलों से कुछ जीना सीख ले आदमी
हंस के गम पीना सीख ले आदमी
kya baat hai... kitni aasani se ghari baat likh di
Bahut achcha likha hai aapne ..short and sweet .... :)
बिखेर दो खुशबू जहाँ भी मौजूद हो,
फूलों की तरह आदमी का भी वजूद हो
Bahut sunder rachna hai...
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