जिन्दगी होने-ना होने का सिलसिला तो है
किसी की बरबादियों पर खुश है कोई,
कोई तो वजह है उसे कुछ मिला तो है
जिस्म मरते हैं ख्यालात नही मरा करते,
आज भी सच की राह पे कोई चला तो है
रात आई तो क्या कभी यंहा दिन ना होगा
लौट आयेगा सूरज,अभी महज़ ढ़ला तो है
हवाओं को खबरदार करो कि रूक जायें,
अन्धेरों के खिलाफ कोई चिराग जला तो है
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