"dilkash afsaney hain, kuch khavb suhaney hain".
हमारे तुम्हारे बीच कभी,
जो एक पुल था,
उसे ढहा दिया,
किसी गलत ने,
गलती ने या गलतफहमी ने,
और खड़ी कर दी एक दिवार,
पर मुझे यकीन है,
एक दरार आयेगी इस दिवार मे,
और पुल की तरह ये भी टुट जायेगी।
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