
खिलेंगे,टूटेंगे,मुरझा कर झड़ जायेंगे,
ये फूल चन्द रोज में फीके पड़ जायेंगे,
कायम रहेगा इनका लेकिन ये मशवरा,
एक पल ही जी लो लेकिन मुस्करा के जरा ,
बिखेर दो खुशबू जहाँ भी मौजूद हो,
फूलों की तरह आदमी का भी वजूद हो
ये फूल चन्द रोज में फीके पड़ जायेंगे,
कायम रहेगा इनका लेकिन ये मशवरा,
एक पल ही जी लो लेकिन मुस्करा के जरा ,
बिखेर दो खुशबू जहाँ भी मौजूद हो,
फूलों की तरह आदमी का भी वजूद हो
फूलों से कुछ जीना सीख ले आदमी
हंस के गम पीना सीख ले आदमी