अन्धेरों भरी जिंदगी की छटपटाहट में,
कदम रखती किसी ख़ुशी की आहट से
फिजां की .........
उस हसीँ शाम को,
अचानक आसमान की तरफ गर्दन उठा के,
उसने मुस्करा कर कुछ कहा...
ज़िक्र ...चाँद का था...
धडकनें दिल की घट बढ़ रही थी /
"..............कुछ भी हो आज
चाँद बहुत सुन्दर लग रहा है,
घर जाकर भी इसे जरुर देखना "
ओर ये सच निकला।
घर की छत से भी चाँद...
उतना ही ख़ूबसूरत लगा॥
जितना किसी
खुबसूरत एहसास को होना चाहिए
सच ये भी है॥
की मायने बदल जाते हैं
अगर इस दूनिया ,जिंदगी ओर सोच में
उजालों से ज्यादा अँधेरे हो जाएँ ।
क्योंकि फिर ग़मज़दा हो जाती है दूनिया,
ओर गुमशुदा सी जिंदगी....
ओर सोच हो जाती है निष्ठुर
वजूद रौशनी का दे देता है.....
दूनिया को एक नई उर्जा,
जिंदगी को नई दिशा..... ओर
सोच को नया आयाम।
सच कहा था आपने ऐ मेरे दोस्त
की "आज तो चाँद बहुत सुन्दर लग रहा है"
आज ये रहनुमा .....
पूरी दूनिया,मेरी जिंदगी ओर मेरे ज़मीर कों
खुशनूमा कर रहा है।
आज तो चाँद बहुत सुन्दर लग रहा है
वंहा से भी जहाँ से हम दोनों ने इसको देखा था......
ओर यंहा से भी जहाँ हम दो है ........
मै ओर मेरा चाँद
1 टिप्पणी:
उत्तम प्रस्तुति , आभार.
कृपया पधारें मेरे ब्लॉग पर भी और अपनी राय दें.
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