अब लाजमी हो गए फासले ज़िंदगी के लिए /-
जिस कुदरत ने बनाया था अपने हाथों से उसे
उसी कुदरत से दशहत आ रही आदमी के लिए /-
चाँद तारों को पैरों तले अपने रौंदने वाला
अंधेरो से लड़ रहा है अदद रौशनी के लिए /-
तेरे रॉकेट, तेरे एटम, तेरी ईज़ादकारियाँ
कुछ काम न आएंगे तेरी बेबसी के लिए /-
कुदरत के साथ रह कर समझ लो ज़िंदगी
बड़ी ख्वाहिशे छोड़ डालो सादगी के लिए /-
मुसीबतें आएँगी चली जाएँगी तारीखें गवाह हैं
इंसानियत ना खोने देना कभी आमदनी के लिए /-
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