शनिवार, अगस्त 2

चाँद नही कोई पूनम जैसा


चाँद नही कोई पूनम जैसा
यार नही कोई हमदम जैसा
बदले है वो बात बात में
बदले नही पर मौसम जैसा
नही जुदा हो कोशिश कर लों
रिश्ता ये सुर सरगम जैसा
झुको तो लदे दरख्त जैसे
लहराओ तो किसी परचम जैसा
चुभो तो किसी नश्तर से जयादा
लगो तो बस एक मरहम जैसा

3 टिप्‍पणियां:

vipinkizindagi ने कहा…

चाँद नही कोई पूनम जैसा
यार नही कोई हमदम जैसा....

shandaar...
maza aa gayaa ...

* મારી રચના * ने कहा…

नही जुदा हो कोशिश कर लों
रिश्ता ये सुर सरगम जैसा

kitna khub likha hai apane....

Urmi ने कहा…

धन्यवाद आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए! मैं आपका ब्लॉग रोजाना पड़ती हूँ! मुझे आपकी ये कविता बहुत ही शानदार लगा और काफी रोमांटिक भी, चित्र भी खूब लगाई है आपने!