सोमवार, दिसंबर 1

क्या तुम आओगी


"क्या तुम आओगी "
क्षितिज के अन्तिम छोर पर ,
मेरा एक क्षण प्रतीक्षारत
तन्हा उदास व्याकुल
तुम्हे पुकारता ...
अश्रुविहल असहाय
क्या इस पल की गूंज
तुम सुन पाओगी .....
क्या इस पल को
सहलाने तुम आओगी ....

5 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

बहोत ही बढ़िया लिखा इसके लिए आपको ढेरो बधाई साहब मगर इतने दिन थे कहाँ आप कुछ ख़बर ही नही ........ चलो देर आए दुरुस्त आए .. ढेरो साधुवाद ..

"अर्श" ने कहा…

साहब नमस्कार ,
आपकी कुशलता के लिए अल्लाह मियां से दुया करता हूँ,आप स्वस्थ और सुखी रहे ये ही रहम हो खुदा का . बहोत दिनों से आप दूर रहे थोडी चिंता तो हो रही थी मगर क्या करता सही पता नही चल पाया..
ऊपर वाला आपको सदा खुश रखे... और फ़िर से अपने उम्दा लेखन से प्रभावित करें सबको येही दुया करता हूँ....
आमीन...

कडुवासच ने कहा…

क्या इस पल की गूंज
तुम सुन पाओगी .....
... प्रभावशाली अभिव्यक्ति।

BrijmohanShrivastava ने कहा…

आपकी तस्वीर देखी और तबीयत खुश हुई /कोई जिए तो बस तुम्हारी तरह जिए /सुन पाओगी और तुम आओगी की जगह सुन पाओगे और तुम आओगे होजाता तो रचना बहु आयामी हो जाती / तस्वीरें बड़े प्यारी लगते हो

ilesh ने कहा…

kaise ho ?...hoping and wishing that u fine....such a wonderful creation...keep it up