गुरुवार, जनवरी 1

हर नई सुबह

हर नई साँस पर

नयापन होता है

हर नई सुबह को

नयापन होता है

जिसकी ज़िन्दगी में हो ठहराव.....

उसे नया क्या ?पुराना क्या?

नया नया कहने से फर्क क्या पड़ता

एक भूखे की भूख को

एक मजबूर की मजबूरी को

मिल जाए निवाला भूखे को तो

पा लेता वो जीवन नवेला

मिल जाए सहारा मजबूर को

नव निर्माण हो सकता है

हर अंधेरे का अंत होता है

हर उजाला भी स्थाई नही होता

हर आँख में एक स्वप्न होता है

हर साँस में एक नयापन होता है

3 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

नव वर्ष पे आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरी तरफ़ से बधाई और मंगलकामनाएँ......



अर्श

BrijmohanShrivastava ने कहा…

हर साँस में और हार सुबह में नया पन,लेकिन ठहरी हुई जिंदगी में नए पन का क्या महत्व है /वाकई भूंखे को नयापन तो रोटी का टुकडा ही देता है /बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति

Urmi ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया आपके सुंदर टिप्पणियों के लिए!
आपने बहुत ही शानदार लिखा है! सच में आप इतना अच्छा लिखते हैं कि आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
काफी दिन हो गए आपने कुछ नया पोस्ट नहीं किया! हम आपके नए पोस्ट का इंतज़ार कर रहे हैं!