मंगलवार, मई 5

अब आरजू सी रह गई


मेरे आंसुओं का क़र्ज़ है,तेरा फ़र्ज़ है अदा करो.


कोई दिल जब दुखाये तेरा,याद कर लिया करो


जब भी डरा तेरे लिए डरा यु ही बेवफा भी हो गया


है इसी में अब वफ़ा तेरी,ख़ुद से भी वफ़ा करो


मेरी आबरू थी तू कभी ,अब आरजू सी रह गई


कभी भूल से भुला न दू ,बन के ख्वाब मिला करो


तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले


कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो


मंजिल मिले तो रुके सफर,चले तो चले जिंदगी


ये सिलसिला रहे ताजिंदगी,ना रुके ऐसी दुआ करो




26 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले
कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो

--ये भी खूब रही!! वाह!

seema gupta ने कहा…

मेरी आबरू थी तू कभी ,अब आरजू सी रह गई
कभी भूल से भुला न दू ,बन के ख्वाब मिला करो
" very touching words"

regards

"अर्श" ने कहा…

तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले

कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो


BAHOT KHUB SAHIB KYA ANDAAZ HAI AAPKE YE TEWAR TO BAHOT PASAND AAYE BAHOT BAHOT BADHAAYEE IS UMDAA KHAYAALAAT KE LIYE .. ..

ARSH

Urmi ने कहा…

आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहत सुंदर कविता लिखा है आपने ! दिल को छू लेने वाली! आपकी हर एक कविता और ग़ज़ल तारीफ ऐ काबिल है!

Urmi ने कहा…

mere dusre blog par aapka swagat hai -
http://urmi-z-unique.blogspot.com

मनीषा ने कहा…

hamesha ki tarah hi zazbato ko behtar dhang se bayan kiya n ek dard ka ehsas bhi dikha
kuch bhi kahne k liye shabd nai hai hamare pas

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

मेरी आबरू थी तू कभी ,अब आरजू सी रह गई
कभी भूल से भुला न दू ,बन के ख्वाब मिला करो


सहेजने योग्य शेर
बधाई

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

सुन्दर ख़यालात, सुन्दर प्रस्तुति.

बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले

.....in fanslo me ek dard sa hai.....

रवीन्द्र दास ने कहा…

chhaa gaye guru.

Kavi Kulwant ने कहा…

bahut khoob..

कडुवासच ने कहा…

...behad khoobasoorat, prabhavashaalee abhivyakti !!!!

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

Sunder kavita ke liye BADHAI

रंजन ने कहा…

बहुत प्यारी गजल...

here is AADI
http://aadityaranjan.blogspot.com/

kumar Dheeraj ने कहा…

अभिन्न जी समझ में नही आता है कि इस पूरे शेर का क्या नाम दू । शानदार अभिव्यक्ति आपने प्रस्तुत की है आपका बहुत बहुत धन्यवाद

* મારી રચના * ने कहा…

dard bhari pyaar ki dastaan apane bekhubi tarasha hai.

satish kundan ने कहा…

बहुत खूबसूरती से जज्बात को शब्दों में पिरोया है आपने ....
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें आपका स्वागत है

Sushant Singh ने कहा…

bahut .......bahut bahut accha . :)

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

आपने बहत सुंदर कविता लिखा है| वाह!

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

बहुत अच्छी आरज़ू है, बधाई.
तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले

कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो

मंजिल मिले तो रुके सफर,चले तो चले जिंदगी

मिले कहीं तो मिले मगर करते रहेंगे हम बंदगी

Divya Narmada ने कहा…

अच्छा लिख रही हैं...वजन और बहर पर अधिक ध्यान दें तो और निखार आएगा.

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

तू चाँद मैं ज़मीन हूँ........सही में कुछ फासले तो ताउम्र बने ही रहते है...ये दूरी कभी कम नहीं होती...

बेनामी ने कहा…

रोचक और सुन्दर है

Shamikh Faraz ने कहा…

bahut khubsurat likha hai aapne.jitni tareef ki jaye kam hai. kabhi mere blog par bhi aayen.
www.salaamzindadili.blogspot.com

Puneet Sahalot ने कहा…

"तू चाँद मै ज़मीन हूँ, कम होंगे कभी न फासले

कब कहा मेरे साथ चल, मै रुकू तो तुम रुका करो"
bahut hi achha likha hai.

bhaiya ek request hai aapse aap pleas apne blog ki theme change kar diye... ye black color background me achha nahi lagta hai. chbhta rehta hai.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है ! एक एक शेर दिल छुं जाता है !