शनिवार, जून 20

मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी


लफ्जों के बियाबाँ में
उमड़ते हुए कारवां में
तन्हाईयों के दरमियाँ में
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
एक दोस्त हमदम की तरह ..........

ना बेवफा जिन्दगी के जैसे
ना रंग बदलते आदमी के जैसे
ना आ के जाने वाली खुशी के जैसे
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
सदा साथ रहते गम की तरह .............

जहाँ तुम रहो वो देश मिले
निरंतर तेरे संदेश मिले
मुझे संग तेरा विशेष मिले
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
खुदा के करम की तरह ..............

तंग करने के सौ तरीके लिए हो
अदब के कितने सलीके लिए हो
हुनर सभी जिंदगी के लिए हो
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
जख्म पर मरहम की तरह .................

10 टिप्‍पणियां:

Puneet Sahalot ने कहा…

kya baat hai bhaiya...
is baar to sabse pehle main hu comment karne wala :)

"ना रंग बदलते आदमी के जैसे
ना आ के जाने वाली खुशी के जैसे
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी"

first line sbse achhi lagi... :)
or ab aap kisi ajnabee ki talaash mein hain... hmmm..?? :P

seema gupta ने कहा…

तंग करने के सौ तरीके लिए हो
अदब के कितने सलीके लिए हो
हुनर सभी जिंदगी के लिए हो
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
जख्म पर मरहम की तरह .................

" some thing different, very difefrent, lovable thoughts ya"

regards

* મારી રચના * ने कहा…

जहाँ तुम रहो वो देश मिले
निरंतर तेरे संदेश मिले

wah... kitni sundar bhavanao ke saath sundar rachana..

अभिन्न ने कहा…

पुनीत भाई आप का कमेन्ट सबसे पहले आया यह तो बहुत ही अच्छी बात है,मेरी कोशिस रहती है की आप की हर बात को माना जाये ओर पूरा किया जाये आप मेरे छोटे भाई हो मुझे आप पर बहुत गर्व है,आप जीवन में बहुत उन्नति करो हमेशा खुश रहो .हाँ भाई मै अजनबी की तलाश में हूँ ये अजनबी कोई ओर नहीं अपना ही साया होता है अपना खुद का जीवन जिसे हम उपेक्षित कर देते है अपनी जिन्दगी अपना बचपन अपनी ख़ुशी ओर अपना ही वजूद जो वाकई हमसे अजनबी हो गया है हर इंसान जो जिंदगी को प्यार करता है इस अजनबी की तलाश में होता है .....उम्मीद है आप भी इस अजनबी को खोज लायें .........
सीमा जी आप के शब्द हमेशा की तरह मुझे संबल प्रदान करते है ,जिन्दगी को संजिंदगी से सोचते सोचते ख्याल कब काव्यात्मक हो जाते है पता ही नहीं चलता.आपके कमेन्ट मेरे लिए सदैव मार्गदर्शक रहते है .ख़ुशी जी आप का भी धन्यवाद रचना को, उसके मर्म को समझ कर सुन्दर कहना पाठक मन की सुन्दरता की ही अभिवयक्ति है .आप सभी को आपके शसक्त लेखन के लिए बधाइयाँ
सादर सस्नेह
sure

Urmi ने कहा…

पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुकियादा करना चाहती हूँ आपकी सुंदर टिप्पणियों के लिए! मेरी रचनाएँ आपको पसंद आते है सुनकर मेरे लिखने का उत्साह दुगना हो गया है!
बहुत ख़ूबसूरत, बहुत सुंदर भाव के साथ, दिल को छू लेने वाली कविता लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया! बहुत दिनों के बाद आपने नया कविता लिखा है! इसी तरह से लिखते रहिये! आपके अगले कविता का इंतज़ार रहेगा!

gazalkbahane ने कहा…

तंग करने के सौ तरीके लिए हो
अदब के कितने सलीके लिए हो
khoob hai bhaaee ‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
इस गज़ल को पूरा पढें यहां
श्याम सखा ‘श्याम’

http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

sandhyagupta ने कहा…

Bahut khub.

शोभना चौरे ने कहा…

सार्थक अभिव्यक्ति .
जहाँ तुम रहो वो देश मिले
निरंतर तेरे संदेश मिले
मुझे संग तेरा विशेष मिले
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
खुदा के करम की तरह .......

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....

मनीषा ने कहा…

sach hi kaha hai apne ki
hum sabi ko ek ajnabi ki talash hoti hai.........phir chahe vo kisi bhi roop me kyu na ho

hamesha ki tarah dil ki bhavo ko sacchchai ke saath likha hai