बुधवार, मार्च 9

तेरे अल्फाज़ जो मेरी जुबाँ हो जाएँ


तेरे अल्फाज़ जो मेरी जुबाँ हो जाये
मै जी लूं ओर तू मेरी जाँ हो जाये /-


हो ऐसे मेरा तेरा एक दूजे से वास्ता,
मुझ से तेरी तुझ से मेरी पहचाँ हो जाये /-


दरिया-ए-दर्द हो जाये समंदर शकूं का
बेचैन उमंगें दिल की, उफनते तूफाँ हो जाये /-


कोई ग़ैर न आ पाए तेरे मेरे बीच में,
खुदगर्जगी हमारी वादा-ओ-पैमाँ हो जाये /-


वाबस्तगी दो दिलों की वाजिब है कुछ करेगी ,
या शदाइत शहीद होंगी या हम फना हो जाये /-


खामोशियाँ जब जब जमीन पर टूटी हैं 'अभिन्न'
मुमकिन है इंकलाबी आबो हवा यहाँ हो जाये /-

***

12 टिप्‍पणियां:

केवल राम ने कहा…

एक एक शेर भावपूर्ण है ...आपके ब्लॉग पर आकर बहुत कुछ सीखने और जानने समझने को मिला

विशाल ने कहा…

हो ऐसे मेरा तेरा एक दूजे से वास्ता,
मुझ से तेरी तुझ से मेरी पहचाँ हो जाये

बहुत ही उम्दा .
तो सलाम हो जाए.
सलाम.

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना | धन्यवाद|

संध्या शर्मा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना ........

Satish Saxena ने कहा…

मन की आशा ..... खूबसूरत अभिव्यक्ति !
शुभकामनायें !!

मनीषा ने कहा…

sunder

kavita verma ने कहा…

हो ऐसे मेरा तेरा एक दूजे से वास्ता,
मुझ से तेरी तुझ से मेरी पहचाँ हो जाये
एक दूसरे को जान कर कर भी कहाँ जान पाते है लोग...
हर मक़ाम पर नए रूप में नज़र आते है लोग...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

वाबस्तगी दो दिलों की वाजिब है कुछ करेगी ,
या शदाइत शहीद होंगी या हम फना हो जाये ....

वाह क्या बात है .....
बहुत सुन्दर ....
पूरी ग़ज़ल उम्दा है !

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

BrijmohanShrivastava ने कहा…

होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना

Patali-The-Village ने कहा…

नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ|

अभिन्न ने कहा…

धन्यवाद केवल जी