शनिवार, जून 21

"खुशी"







"खुशी"

इतनी खुशी ना दो के कोई गम भी सह न पाऊँ ,

मेरी जान निकल जाए और किसी से कह ना पाऊँ ...

पड़ न जाए मुझे भी आदत खुशीयाँ पाने की,

एक पल भी खुशी बगैर तन्हा मै रह न पाऊँ..

क्यों दे रहे वो वज़ह मुझे जीने की मेरे "मालिक"

अड़ जाऊं और कहूं मौत भी बेवज़ह न पाऊँ...

ज़न्नत करे कबूल ना मुझको , गुनाहों की बात पर

खुशी से मरा हूँ दोज़ख में शायद जगह न पाऊँ





1 टिप्पणी:

seema gupta ने कहा…

"jindge mey kisee ka bhee tu mohtaj na rhey, hr bedtey kadam pr khusheeyon kee saugaat rhe..."

Regards