मंगलवार, जनवरी 1

अंतर क्या बारह तेरह में



मात्र अंक ही बदले तो बदलाव कैसा ?

हालात रहे गर ऐसे ही तो चाव कैसा ?

दर्द,गम,बेबसी,भय,दरिंदगी व्याप्त है सब ओर /

सड़क से सत्ता तक हावी हैं,दरिन्दे,डाकू चोर /

लोक लाज रहित घृणित ये लोक राज कैसा ?
...

बेबस मूक बधिर विकलांगो का ये समाज कैसा ?

जो बहन बेटियों की आबरू बचाने में लाचार है,

यादाश्त कमजोर इसकी ,बड़ा विचित्र व्यवहार है

कल तक क्रोधित था ये बड़ा ग़मज़दा भी था /

कानून - व्यवस्था को लेकर ये खफा भी था /

कर रहा है आज तैयारी फिर जश्न मनाने की

कल के गम भुलाने की कुछ जख्म छुपाने की ,

कुछ बदल नहीं सकता तो फिर नया क्या नए साल में /

अंतर क्या बारह तेरह में जो बदलाव न आया इस हाल में /

1 टिप्पणी:

Blogvarta ने कहा…

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