मात्र अंक ही बदले तो बदलाव कैसा ?
हालात रहे गर ऐसे ही तो चाव कैसा ?
दर्द,गम,बेबसी,भय,दरिंदगी व्याप्त है सब ओर /
सड़क से सत्ता तक हावी हैं,दरिन्दे,डाकू चोर /
लोक लाज रहित घृणित ये लोक राज कैसा ?
...
बेबस मूक बधिर विकलांगो का ये समाज कैसा ?
जो बहन बेटियों की आबरू बचाने में लाचार है,
यादाश्त कमजोर इसकी ,बड़ा विचित्र व्यवहार है
कल तक क्रोधित था ये बड़ा ग़मज़दा भी था /
कानून - व्यवस्था को लेकर ये खफा भी था /
कर रहा है आज तैयारी फिर जश्न मनाने की
कल के गम भुलाने की कुछ जख्म छुपाने की ,
कुछ बदल नहीं सकता तो फिर नया क्या नए साल में /
अंतर क्या बारह तेरह में जो बदलाव न आया इस हाल में /
हालात रहे गर ऐसे ही तो चाव कैसा ?
दर्द,गम,बेबसी,भय,दरिंदगी व्याप्त है सब ओर /
सड़क से सत्ता तक हावी हैं,दरिन्दे,डाकू चोर /
लोक लाज रहित घृणित ये लोक राज कैसा ?
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बेबस मूक बधिर विकलांगो का ये समाज कैसा ?
जो बहन बेटियों की आबरू बचाने में लाचार है,
यादाश्त कमजोर इसकी ,बड़ा विचित्र व्यवहार है
कल तक क्रोधित था ये बड़ा ग़मज़दा भी था /
कानून - व्यवस्था को लेकर ये खफा भी था /
कर रहा है आज तैयारी फिर जश्न मनाने की
कल के गम भुलाने की कुछ जख्म छुपाने की ,
कुछ बदल नहीं सकता तो फिर नया क्या नए साल में /
अंतर क्या बारह तेरह में जो बदलाव न आया इस हाल में /
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