"dilkash afsaney hain, kuch khavb suhaney hain".
शनिवार, अप्रैल 20
शब्दों का घर
मैं शब्दों का घर बना कर ,
तुम्हे छुपा भी नहीं सकता ,
लोग शब्दों के मनमर्जी से
अर्थ निकाल लेते हैं ........../
भाव समझे बिना
तुम्हे और मुझे
रुसवा कर देंगे ......
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