तुम्हे सोचता हूँ , तो पाता हूँ तुम्हे , अपने ही आस पास -/ तुम्हे छूने लगता हूँ तो टूट जाता है एक और स्वपन -/ ये जो मेरी पलकों पे अनगिनत मोती छुपे हैं इंतज़ार के -/ बस तेरी एक झलक के तलबगार हैं .. और जो मेरे लबों पे आने को बेताब है बरसों से , उस मुस्कराहट को बस तेरे आने का इंतज़ार है -/
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