मंगलवार, जून 17

"बार बार"








"बार बार"

पुकारो न हमे जिंदगी बार बार,

चाहते है जीना हम भी बार बार...

छाएंगे अंधेरे मगर फिर भी ,

हर सुबह होगी रोशनी बार बार...

कूकेगी कोयल ,गाएगी बुलबुल ,

वादी -ऐ -दिल महकेगी बार बार...

जाओगे तोड़ रिश्ता , सब -ऐ -हिज्र मे,

" लेकिन"

याद तुमको हमारी आएगी बार बार






2 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

"लाख दामन छुडाओ मेरी यादों से तुम
हम ख्यालों में आके सतायेंगे यूँही बार बार "

wondeful poetry

अभिन्न ने कहा…

aapne jis poetic andaz se apne comment diye hai usse rachnakar ko uska noble prize mil gya hai..anekanek dhanyavad thank u Seema ji