गुरुवार, जून 26

जीवन का सर्वोच्च क्षण





जीवन का सर्वोच्च क्षण
एक मौन संध्या का आगमन
मेरा स्वयं से साक्षात्कार
था जीवन में पहली बार

हृदय में उठता प्रश्न विशेष प्रशांत
देखा जब से जीवन साक्षात्
मेरा इससे कुछ है सम्बन्ध
स्पष्ट दीखता है मेरा प्रतिबिम्ब

मै,वो और एक तीसरा क्षण
और हम पर वो सांध्य अर्पण
मुझको जो लगा वो कहना था
मुझे भी जीवित रहना था

मै बिता क्षण तू शेष है
तेरा महत्व अभी विशेष है
इन साँसों को चलते रहने दो
मेरी जीवनधारा बहने दो

मै भूत भविष्य तू मेरा,
मै काव्य विषय तू मेरा
साक्षी क्षण ये तृतीय , विधान है
दोनों के मध्य ये कड़ी वर्तमान है

तीन काल एकत्र हो सारे
और ऐसे सम्बन्ध के बारे
भूत भविष्य दोनों मौन है
फिर रोने वाले तू कौन है?

प्रश्न अतीत ने उठाया ऐसे
उत्तर वर्तमान ने समझाया ऐसे
ध्रुव,धाराएँ चाहे मिलते रहें
ये मिलन असंभव है मेरा मन कहे

.....अभिन्न

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

'aasha kay kuch deep abhinn
kahtay rahtay hain kutch maun pranay
samay sara trishna say chinn bhinn
sattya samakh kar jaati samay kee pralay'


.....................
..............aapki ki kavita ki uttamta ko kaun nakar sakta
hai, meri ardhangini abhi shabdon ko taul raheen hain kuch bhavnaatmak tippanee karnay ke liyay..............shubhchintak chakor

बेनामी ने कहा…
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