शुक्रवार, जुलाई 4









"कहाँ"
ज़मीन कहां ,आकाश कहां
आते हैं कब पास कहां ???
उठ जात है हज़ार उँगलियाँ ,
मेरी खुशी किसी को रास कहाँ???
पत्थर पे अक्स फूल की जो उभार दे,
ऐसे अब वो संगतराश कहाँ???
पतझर ही मिले जब भी मिले,
मेरे हिस्से के मधुमास कहाँ???
रुक जाओ के तफ्शीस कर लूँ ,
दिल कहाँ धड़कन कहाँ ,मेरी साँस कहाँ???

1 टिप्पणी:

'sakhi' 'faiyaz'allahabadi ने कहा…

premdewanay dekhain hain kya?
DEKHA HAI VANWAAS KAHAN

roohon ka tadapna dekha hai?
tumko hai abhas kahan

chanda aur chakor ko dekho!
phir yeh zameen aakash kahan

...........................'chakor'